खजुराहो / कथक से आगाज हुआ था और कथक से ही गिरा पर्दा, 7 दिन तक चले शास्त्रीय नृत्य उत्सव का समापन

मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग, उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी द्वारा आयोजित 46 वें खजुराहो नृत्य समारोह का कथक नृत्य से आगाज हुआ था और कथक प्रस्तुति से ही पर्दा गिरा। अंतिम दिन 4 नृत्य प्रस्तुतियां हुईं। इनमें श्रीविद्या अंगरा सिन्हा ने कुचीपुड़ी, इनाक्षी सिन्हा एवं पवित्र कृष्ण भट्ट ने ओडिसी व भरतनाट्यम की युगल प्रस्तुति दी। इसके अलावा सिनम बासु सिंह एवं साथियों ने मणिपुरी समूह नृत्य तथा अमिता खरे एवं साथियों ने कथक समूह नृत्य पेश किया। सात दिनों तक चले इस समारोह का अमिता खरे और साथियों की कथक प्रस्तुति से समापन हो गया।



अंतिम शाम का आगाज कुचिपुड़ी नृत्यांगना श्रीविद्या अंगरा सिन्हा एकल प्रस्तुति से हुआ। उन्होंने अपने नृत्य का आगाज ‘’मंदोदरी शब्दम”से किया। नृत्यांगना से रावण और मंदोदरी के विवाह को नृत्य अभिनय के साथ बड़े ही आकर्षक ढंग से मंच पर चित्रित किया। नृत्य शैली में रावण और मंदोदरी के प्रसंग को शानदार ढंग से प्रस्तुत किया, इस नृत्य में प्राचीन परंपरा को भी प्रदर्शित किया। इसके उपरांत उन्‍होंने चंद्र शंखटम प्रस्तुत किया। जो एक श्लोक पर आधारित था, यह आदि शंकराचार्य की रचना पर किया गया। नृत्यांगना ने शिव के प्रसंग एवं नृत्य मुद्राओं को मनोहारी ढंग से किया।


कथक: अमिता खरे ने ऋतु, मोर नृत्य और बिजली कड़कने का दृश्य एक ही नृत्य में संजोया : सातवीं शाम के अंतिम चरण में लखनऊ एवं रायगढ़ घराने की कथक नृत्यांगना अमिता खरे ने समूह के साथ उत्तर भारत के कथक नृत्य को प्रदर्शित किया। उन्होंने नृत्य की शुरुआत “शिव स्तुति’’ के साथ की। इसके उपरांत कथक के शुद्ध नृत्य को प्रदर्शित करते हुए बिंदादीन महाराज की रचना पर ठुमरी “काहे छेड़त प्यारे नंद लाल मोरे’’ पर अभिनय से ओतप्रोत नृत्य किया। इसके बाद उन्होंने “राग मिंया मल्हार’’ की बंदिश “गरज गरज बरसे कारे बदरा’’ पर ऋतु, मोर नृत्य, बिजली के कड़कने का दृश्य नृत्य में प्रदर्शित कर दर्शकों को मोह पास में बांध लिया। उन्होंने अपनी अंतिम कथक प्रस्तुति तराना स्वर्गीय पद्म भूषण अब्दुल लतीफ की रचना पर समूह नृत्य के रूप में दी। 



ओडिसी-भरतनाट्यम: इनाक्षी और पवित्र कृष्ण ने पेश किया अदभुत समन्वय
ओडिसी नृत्यांगना इनाक्षी सिन्हा ने पवित्रकृष्ण भट्ट के साथ नृत्य पेश किया। उन्होंने ओडिसी नृत्य की शुरुआत अपने साथी भरतनाट्यम नृत्यकार पवित्रकृष्ण भट्ट के साथ युगल नृत्य के रूप में की। कलाकारों ने अपनी-अपनी शैली में लाजवाब समन्वय के साथ नृत्य पेश किया। इस ‘अर्धांग’ नृत्य में शिवशक्ति का वर्णन किया। इस नृत्य की संरचना खुद नृत्यांगना इनाक्षी सिन्हा ने की थी। इसके बाद इनाक्षी सिन्हा ने ओडिसी शैली में नृत्य के शुद्ध पक्ष को प्रस्तुत करते हुए इस नृत्य की शुरूआत पारंपरिक पल्लवी से की। जिसमें नृत्य के लयात्मकता एवं सुंदर मुद्राएं देखने योग्य थीं। इसके बाद पवित्र कृष्ण भट्ट ने भरतनाट्यम में एकल नृत्य गणेश स्तुति पर पेश किया। अंत में फिर दोनों कलाकारों ने ओडिसी और भरत नाट्यम की अपनी-अपनी शैली में दिल को छू लेने वाले मीरा भजन पर श्रीकृष्ण के रोमांचकारी विषयों को लेकर नृत्य पेश किया।



मणिपुरी: सिनम बासु सिंह ने राधा-कृष्ण के प्रेम भक्ति को मंच पर उतारा
तीसरे चरण में सिनम बासु सिंह ने अपने समूह के साथ लास्य-लावण्य से ओतप्रोत मणिपुरी को गीत गोविंद की रचना पर राधा-कृष्ण की प्रेम भक्ति को खूबसूरत अंदाज में मंच पर पेश किया। इसके बाद मणिपुरी नृत्य को और अनेक रास लीलाओं को काेमल एवं लयात्मक ढंग से प्रस्तुत किया। जो दर्शकों को खूब भाया।